इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने अपने इस संबोधन में अल्लामा मुहम्मद हुसैन तबातबाई को हालिया सदियों में उच्च धार्मिक शिक्षा केंद्रों (हौज़े इल्मिया) की बेजोड़ हस्तियों में से एक बताया और कहा कि अल्लामा तबातबाई के अहम कामों से एक, बाहर से लाए गए विचारों के हमलों के दौरान, इस हमले का मुक़ाबले करने के लिए एक मज़बूत और आक्रामक वैचारिक मत बनाना है और ये ऐसा काम है जिसकी आज हमें ज़रूरत है।

उन्होंने इल्म, अल्लाह से डर, नैतिक दर्जों, कला, शेर व साहित्य के ज़ौक़, अपनाइयत, दोस्ती, वफ़ादारी जैसी मरहूम अल्लामा तबताबाई की अहम विशेषताओं की तरफ़ इशारा किया और कहा कि उनमें ज्ञान के कई पहलू पाए जाते हैं जिनमें से एक मरहूम अल्लामा तबताबाई की बेजोड़ इल्मी विविधता है।

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि अल्लामा तबातबाई फ़िक़ह, उसूल, खगोलशास्त्र, गणित, तफ़सीर, क़ुरआनी ज्ञानों, शेर, साहित्य और इल्मे नसब (वंशावली के ज्ञान) जैसे ज्ञानों में दक्ष थे और इस हैरत अंगेज़ इल्मी विविधता के साथ ही विभिन्न ज्ञानों में उनकी इल्मी और वैचारिक गहराई बहुत ध्यान देने योग्य है, इस प्रकार से कि वे उसूले फ़िक़ह में अपनी राय रखने वाले ज्ञानी, एक नई सोच वाले दार्शनिक और क़ुरआन के एक अद्भुत मुफ़स्सिर थे।

इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ज़ोर देकर कहा कि अल्लामा तबातबाई को उनकी ज़िंदगी में उतना नहीं पहचाना गया जितना आज पहचाना जा रहा है और उनके ख़ुलूस की बरकत से उनके व्यक्तित्व और किताबों को दिन-ब-दिन देश और दुनिया के स्तर पर अधिक पहचान मिलेगी।