ज़माने के बड़े बड़े ओलमा इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम से इल्म हासिल करते थे। (मशहूर सहाबी) इब्ने अब्बास के शिष्य अकरमा, एक मशहूर शख़्सियत हैं, जब इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के पास आते हैं ताकि उनसे कोई हदीसे रसूल सुनें -शायद उनका इम्तेहान लेने की नीयत से- तो उनके हाथ पैर थरथराने लगते हैं और वो इमाम के क़दमों में गिर जाते हैं, बाद में ख़ुद ही ताज्जुब करते हुए कहते हैं कि फ़रज़ंदे रसूल! मैंने इब्ने अब्बास जैसी हस्ती को देखा, उनसे हदीसें सुनीं लेकिन उनके सामने मेरी यह हालत नहीं हुयी जैसी आपके सामने हो गई तो इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम उसके जवाब में साफ़ लफ़्ज़ों में कहते हैं, हे शामियों के ग़ुलाम! तुम ऐसी रूहानी अज़मत के सामने हो कि तुम्हारी यह हालत होना स्वाभाविक है।
अबू हनीफ़ा जैसा शख़्स, जो अपने ज़माने के बड़े धर्मगुरुओं में थे, इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में आकर उनसे दीन की तालीम हासिल करते हैं और दूसरे बहुत से ओलमा, इमाम मोहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के शागिर्द थे और इमाम बाक़िर अलैहिस्सलाम के इल्म का डंका पूरी दुनिया में इस तरह बजा कि बाक़िरुल उलूम (इल्म की तह तक पहुंच जाने वाले) के नाम से मशहूर हुए।
इमाम ख़ामेनेई
17 जुलाई 1986