हज़रत अली (अ.स.) की शख़्सियत वह है कि अगर आप शिया हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, अगर सुन्नी हैं तब भी उनका एहतेराम करेंगे, मुसलमान नहीं हैं तब भी अगर आप इस हस्ती से वाक़िफ़ हैं और उनकी ज़िंदगी के हालात से आगाही रखते हैं तो उनका एहतेराम करेंगे।
इमाम ख़ामेनेई
20 सितम्बर 2016
एक इंसान जिन ख़ूबियों और वैल्यूज़ का वह सम्मान करता है, वे सभी हज़रत अली अलैहिस्सलाम में इकट्ठा हैं। जो शख़्स किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखता, वह भी जब अमीरुल मोमेनीन की शख़्सियत को पहचान लेता है तो उनके सामने सिर झुका देता है।
आपका मन हज़रत अली के इश्क़ में डूबा हुआ है। अल्लाह उन पर अपनी कृपा की बारिश करे। यही शौक़, यही इश्क़, यही प्रेम और ध्यान इन्शा अल्लाह हमें उस सिम्त ले जाने का ज़रिया बने जो हमारे मौला के मद्देनज़र है।