सामने वाले पक्ष ने धमकी दी है कि अगर तुमने वार्ता नहीं की तो ऐसा और वैसा होगा, हम बमबारी करेंगे। ऐसी वार्ता को स्वीकार करना जो धमकी के साथ जुड़ी हो, कोई सम्मानीय राष्ट्र बर्दाश्त नहीं करता, कोई भी समझदार राजनीतिज्ञ इसका समर्थन नहीं करता है।
मैं यह कहना चाहता हूं कि मौजूदा हालात में, जो स्थिति है, मुमकिन है, 20 साल बाद, 30 साल बाद हालात दूसरे हों, उससे मुझे कुछ लेना देना नहीं है, मौजूदा हालात में अमरीका के साथ बातचीत हमारे राष्ट्रीय हित में नहीं है।
वह चाहता है कि ईरान, अमरीका के अधीन रहे। ईरानी क़ौम, इस बड़े अपमान से बहुत दुखी होती है और उन लोगों और उस शख़्स के मुक़ाबले में जो ईरानी क़ौम से यह ग़लत अपेक्षा रखता है, पूरी ताक़त से डट जाएगी।