मुल्क का कल्चर बनाने के लिए हमेशा किताब की ज़रूरत होती है। अगरचे आज बहुत से दूसरे साधन भी आ गए हैं, जैसे सोशल मीडिया वग़ैरह है, लेकिन किताब अब भी अपनी जगह बहुत अहम और आला दर्जा रखती है।
आईआरआईबी पत्रकारः सलाम अर्ज़ है, मेज़ाज कैसा है
आप आर्थिक मामलों को बहुत ज़्यादा अहमियत देने के साथ ही, पिछले बरसों की तरह इस साल भी एक व्यवहारिक क़दम के तौर पर तेहरान इंटरनैश्नल बुक फ़ेयर में तशरीफ़ लाए।