आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने नमाज़ की 29वीं रॉष्ट्रीय क़ॉन्फ़्रेंस के नाम अपने संदेश में, दो साल के बाद इसके आयोजन को ख़ुशी व बर्कत का सबब क़रार दिया। उन्होंने कहा कि एक ख़ुशक़िस्मत और अच्छे मुक़द्दर वाले समाज में दोस्ती, क्षमाशीलता, मेहरबानी, हमदर्दी, आपसी मदद, एक दूसरे की भलाई और ऐसी ही दूसरे अहम रिश्ते नमाज के प्रचलित और क़ायम होने की बर्कत से मज़बूत होते हैं।