मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे समाज की बच्चियां और महिलाएं हज़रत ज़ैनब की शख़्सियत में मौजूद आइडियल पर ग़ौर करें और अपनी शख़्सियत के लिए उसी को पैमाना बनाएं। बाक़ी चीज़ें तो हाशिए की हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16 जून 2005
कर्बला की सरज़मीन पर भाई हुसैन की लाश के पास पहुंच कर हज़रत ज़ैनब ने पैग़म्बरे इस्लाम से दर्द भरे लहजे में कहा यह आपका हुसैन है जो ख़ून में लथपथ ज़मीन पर पड़ा है।