28/10/2023
इन दिनों जो नीतियां चल रही हैं, यानी हालिया हफ़्ते में ज़ायोनी सरकार के भीतर जो नीति चल रही है, उसे अमरीकी तय कर रहे हैं, मतलब यह कि पॉलिसी मेकर वो हैं और जो यह काम हो रहे हैं, वो अमरीकियों की नीतियों के तहत हैं। इमाम ख़ामेनेई  17 अक्तूबर 2023
26/10/2023
यह जो आप देख रहे हैं कि अमरीका के राष्ट्रपति, ज़ालिम व दुष्ट मुल्कों ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी के राष्ट्राध्यक्ष एक के बाद एक वहाँ जा रहे हैं! इसकी वजह क्या है? वजह यह है कि वो देख रहे हैं कि (क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन) बिखरता जा रहा है।
25/10/2023
अगर आप देखें कि वह राह जिस पर आप चल रहे हैं, कुफ़्फ़ार उससे ख़ुश होते हैं, तो जान लीजिए कि वह रास्ता ‘वो काफ़िरों पर सख़्त हैं’ वाला रास्ता नहीं हैं, तो आप पैग़म्बरे इस्लाम के साथ नहीं हैं, पैग़म्बर के हमराह नहीं हैं। इमाम ख़ामेनेई 12/09/2023
25/10/2023
इस (ग़ज़ा के) मसले में अमरीका यक़ीनी तौर पर अपराधियों का भागीदार है। यानी इन अपराधों में अमरीका के हाथ कोहनियों तक मज़लूमों, बच्चों, बीमारों, औरतों के ख़ून में डूबे हुए हैं।
19/10/2023
बमबारी फ़ौरन रुकना चाहिए। मुसलमान क़ौमों में क्रोध है। बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में हैं। बहुत सी सूचनाएं हैं जो हमें यह बताती हैं कि ज़ायोनी सरकार के भीतर जो नीति चल रही है, उसे अमरीकी तय कर रहे हैं। अमरीकी अपनी ज़िम्मेदारी पर ध्यान दें, वो जवाबदेह हैं।
18/10/2023
फ़िलिस्तीन के मामले में जो चीज़ पूरी दुनिया की नज़रों के सामने है वह क़ाबिज़ सरकार के हाथों नस्ली सफ़ाए का जुर्म है। यह पूरी दुनिया देख रही है। अब तक ग़ज़्ज़ा के कई हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, इन्हीं कुछ दिनों में। आज की क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार पर निश्चित तौर पर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए।
17/10/2023
गर यह जुर्म जारी रहा तो मुसलमानों का सब्र ख़त्म हो जाएगा, प्रतिरोध फ़ोर्सेज़ का सब्र ख़त्म हो जाएगा, फिर कोई भी उन्हें रोक नहीं पाएगा। यह बात जान लें।
16/10/2023
यह काम, ख़ुद फ़िलिस्तीनियों का है, सूझ बूझ रखने वाले रणनीतिकार, बहादुर नौजवान, जान हथेली पर रख कर घूमने वाले जवानों ने बहादुरी की यह दास्तान लिखी है और इन्शाअल्लाह यह कारनामा, फ़िलिस्तीन को छुटकारा दिलाने की राह में एक बड़ा क़दम होगा।
14/10/2023
इस्राईल एक मुल्क नहीं, बल्कि फ़िलिस्तीनी क़ौम और दूसरी मुसलमान क़ौमों के ख़िलाफ़, आतंकवाद की एक छावनी है। इस बर्बर सरकार के ख़िलाफ़ जद्दोजेहद, हक़ीक़त में ज़ुल्म के ख़िलाफ़ संघर्ष और आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग है और यह सबका सामूहिक फ़रीज़ा है।
13/10/2023
दुश्मन का यह अंदाज़ा भी ग़लत है कि अगर वह विक्टिम कार्ड खेलेगा तो इस तरह वो अपने अपराधिक हमले जारी रख सकेगा। यक़ीनी तौर पर इस्लामी दुनिया को इन अपराधों के सामने चुप नहीं रहना चाहिए, प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए।
12/10/2023
इस ज़ालिम हुकुमत ने फ़िलिस्तीनी औरतों, मर्दों, बच्चों, बूढ़ों पर रहम नहीं किया, मस्जिदुल अक़्सा के सम्मान का ख़्याल नहीं रखा, उसने ज़ायोनी कालोनियों में रहने वालों को पागल कुत्तों की तरह फ़िलिस्तीनियों पर छोड़ दिया, नमाज़ियों को पैरों तले रौंदा गया, तो इतने ज़ुल्म और अपराधों के मुक़ाबले में एक क़ौम क्या करे?
11/10/2023
यह आफ़त ख़ुद ज़ायोनियों ने अपनी हरकतों से ख़ुद अपने सरों पर नाज़िल की है। जब ज़ुल्म और अपराध हद से गुज़र जाएं, जब दरिंदगी अपनी हद पार कर ले तो फिर तूफ़ान के लिए तैयार रहना चाहिए।
09/10/2023
यह महिला उन लोगों में से एक हैं जो इस्लामी समाज में औरत के वास्तविक रुझान को चित्रित कर सकती हैं।
08/10/2023
जैसा कि इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने क़ाबिज़ हुकूमत को कैंसर कहा है, अल्लाह के करम से इंशाअल्लाह निश्चित तौर पर फ़िलिस्तीनी अवाम के हाथों और रेज़िस्टेन्स फ़ोर्सेज़ के हाथों इस कैंसर को जड़ से काट दिया जाएगा। इमाम ख़ामेनेई
07/10/2023
ज़ायोनी हुकूमत ग़ुस्से से भरी हुयी है, सिर्फ़ हमारे सिलसिले में ही नहीं, मिस्र, सीरिया और इराक़ से भी द्वेष रखती है, क्यों? क्योंकि “नील से फ़ुरात तक” का उनका लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। क़ुरआन कहता है कि ग़ुस्से से मर जाओ। यही होगा भी, वो मर रहे हैं। इमाम ख़ामेनेई
04/10/2023
इस्लामी जुम्हूरिया का निश्चत स्टैंड यह है कि जो सरकारें ज़ायोनी हुकूमत से संबंध बहाल करने का जुआ खेल रही हैं, नुक़सान उठाएंगी। यूरोपियों के शब्दों में हारने वाले घोड़े पर शर्त लगा रही हैं।
04/10/2023
पवित्र इस्लामी शरीयत में सिर्फ़ खाने की ज़रूरत के तहत शिकार की इजाज़त है। शिकार के सफ़र में नमाज़ पूरी पढ़नी है; यानी सफ़र, हराम सफ़र है; इसका यह मतलब हुआ।
03/10/2023
आज इस्लाम से दुश्मनी, पहले से कहीं ज़्यादा ज़ाहिर है, जिसका एक जाहेलाना नमूना, क़ुरआन मजीद का अनादर है जो आपकी नज़रों के सामने है कि एक जाहिल बेवक़ूफ़ खुल्लम खुल्ला यह हरकत कर रहा है। अस्ल बात, पर्दे के पीछे मौजूद तत्वों की है। वो सोचते हैं कि इस तरह की हरकतों से क़ुरआन को कमज़ोर कर सकते हैं, यह उनकी ग़लतफ़हमी है। इमाम ख़ामेनेई
02/10/2023
पैग़म्बरे इस्लाम का वजूद कहकशां जैसा है। इसमें महानता के हज़ारों बिन्दु पाए जाते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम जैसी बेमिसाल शख़्सियत की ज़िन्दगी, इस्लामी इतिहास के हर दौर के लिए नमूना व पाठ है, हमेशा के लिए आइडियल है।
02/10/2023
हम दुनिया को यह सिखाना चाहते हैं, हम यह कहना चाहते हैं कि मुसलमान आपस में सहयोग करें। एक दूसरे के साथ मिलकर ज़िन्दगी गुज़ारें, इसका नमूना हमारे यहाँ सीस्तान व बलोचिस्तान में मौजूद है।
30/09/2023
मुसलमानों में एकता, क़ुरआन का निश्चित फ़ैसला है, इसे एक ज़िम्मेदारी की नज़र से देखना चाहिए। मुसलमानों में एकता कोई टैक्टिक नहीं है कि कोई यह सोचे कि ख़ास हालात की वजह से हमें एकजुट होना चाहिए।
28/09/2023
दुनिया की बड़ी ताक़तें, उस ज़माने की सभी बड़ी ताक़तें एक मोर्चे पर इकट्ठा हो गयीं और हम पर, इस्लामी गणराज्य पर और इस्लामी इंक़ेलाब पर हमले में शरीक थीं। एक ऐसी जंग और एक ऐसे मुक़ाबले में ईरानी क़ौम फ़तह की चोटी पर पहुंची, वहाँ खड़ी हुयी और अपनी शान दुनिया को दिखा दी। महानता यह है। इमाम ख़ामेनेई
28/09/2023
इब्ने अब्बास से रिवायत है कि पैग़म्बरे इस्लाम ज़मीन पर बैठ जाते थे, ज़मीन पर बैठ कर खाते थे, चौपाये की रस्सी अपने हाथ में पकड़े रहते थे, ग़ुलाम की जौ की रोटी पर दावत को क़ुबूल कर लेते थे।
25/09/2023
पाकीज़ा डिफ़ेन्स के तथ्यों में फेरबदल कर दिए जाने ‎का ख़तरा है। फेरबदल करने वाले तत्व घात में हैं। इसलिए वक़्त के लेहाज़ से पाकीज़ा डिफ़ेन्स से जितना ज़्यादा दूर हो रहे हैं, उतना ही मारेफ़त के ‎लेहाज़ से हमें उससे ज़्यादा क़रीब होना चाहिए। 
24/09/2023
पाकीज़ा डिफ़ेन्स का इतिहास एक पूंजी है, इस पूंजी को मुल्क की तरक़्क़ी के लिए, क़ौमी तरक़्क़ी के लिए, हर क़ौम के सामने मौजूद मुख़्तलिफ़ मैदानों में आगे बढ़ने की तैयारी के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
17/09/2023
दुश्मनों ने खुलकर कहा कि वो ईरान में सीरिया और यमन जैसे हालात पैदा करना चाहते हैं। अलबत्ता उन्होंने बकवास की है, वो यह नहीं कर सकते, इसमें कोई शक नहीं है लेकिन, शर्त यह है कि हम पूरी तरह चौकन्ना रहें। अगर आप सोते रहे तो एक बच्चा भी आपको चोट पहुंचा सकता है। इमाम ख़ामेनेई
14/09/2023
पैग़म्बरे इस्लाम ने अपना पैराहन उठाया और फ़रमाया कि आओ अभी अपना इंतेक़ाम पूरा करो! इसे क़यामत के लिए न छोड़ो! इमाम ख़ामेनेई
13/09/2023
दुनिया में बड़ा बदलाव शुरू हो चुका है। इस बदलाव की मूल निशानी, अमरीका जैसी साम्राज्यवादी ताक़तों ‎का ‎कमज़ोर पड़ना और नई क्षेत्रीय व वैश्विक ताक़तों का उभरना है।
14/09/2023
वो ख़ुद कहते हैं कि दुनिया में अमरीका की ताक़त के इंडेक्स नीचे जा रहे हैं। कौन से इंडेक्स? जैसे अर्थव्यवस्था, अमरीका की ताक़त के सबसे अहम इंडेक्स में से एक अमरीका की मज़बूत अर्थव्यवस्था थी और वो कह रहे हैं कि यह पतन की ओर जा रही है।
12/09/2023
नए बदलाव की कुछ मूल निशानियां हैं। पहली निशानी, साम्राज्यवादी ताक़तों का कमज़ोर हो ‎जाना है, अमरीका की साम्राज्यवादी ताक़त कमज़ोर पड़ चुकी है और भी कमज़ोर हो रही है।  इमाम ख़ामेनेई 11/09/2023
11/09/2023
सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत और दक्षिणी ख़ुरासान प्रांत के अवाम तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात के लिए जमा हुए। सभा में आयतुल्लाह ख़ामेनेई के आगमन का लम्हा बड़ा ख़ास था।
09/09/2023
इस अरबईन वॉक में जिस इरादे और मज़बूती के साथ आपने क़दम बढ़ाए, जवानों के अंदाज़ में क़दम बढ़ाए, हर मैदान में रूहानियत, हक़ीक़त और तौहीद की हुक्मरानी की राह में इंशाअल्लाह आप इसी मज़बूती से आगे बढ़ेंगे।
07/09/2023
ईरानी क़ौम अपने पूरे वजूद से आप अज़ीज़ इराक़ी भाइयों की शुक्रगुज़ार है, ख़ास तौर पर अर्बईन पर मौकिब के मालिकों के शुक्रगुज़ार हैं। हम दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करते हैं।
06/09/2023
रास्ते में बने मौकिबों में आप अज़ीज़ इराक़ी भाइयों के सुलूक के बारे में, हुसैनी ज़ायरों से आपके दानशीलता के बर्ताव के बारे में हमें जो सूचनाएं मिलती हैं वो ऐसी चीज़ें हैं जिनकी कोई नज़ीर नहीं है।
05/09/2023
आज भी जब पेचीदा दुनिया में इंसानियत पर उत्तेजक शोर और प्रोपैगंडा छाया हुआ है, अर्बईन का यह आंदोलन दूर दूर तक पहुंचने वाली आवाज़ और बेमिसाल मीडिया बन गया है। बेमिसाल मीडिया है।
04/09/2023
आज इस्लामी जगत ताक़त की एक मिसाल को देख रहा है और वह अर्बईन मार्च है। अर्बईन मार्च इस्लाम की ताक़त है, सत्य की ताक़त है, इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की ताक़त है।
03/09/2023
अर्बईन इस अमल के साथ जो मुख्य रूप से नजफ़ से कर्बला के बीच पैदल मार्च की शक्ल में अंजाम पाता है, एक विश्वव्यापी विषय बन चुका है।
29/08/2023
इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की ज़ियारत में आने जाने में जो दिन लगते हैं, वो ज़ायर की उम्र के दिनों में नहीं गिने जाते। इमाम ख़ामेनेई 23/09/2019