मैं शहीदों के घरवालों से जब मिलता हूं तो अकसर कहता हूं कि अल्लाह आपका साया इस क़ौम के सर पर बाक़ी रखे। हमने जो कुछ हासिल किया है वह इन्हीं बलिदानों की देन है।
क़रीब आठ महीने समुद्र के सफ़र में ईरानी फ़्लोटिला ने 65000 किलोमीटर की दूरी तय करके पूरी दुनिया का चक्कर लगाया। इस मिशन में जहाँ कुछ कड़वाहट थीं तो वहीं बहुत से मनमोहक लम्हे भी थे।
मातमी अंजुमनें, मोहब्बते अहलेबैत के मरकज़ कि इर्द-गिर्द जमा हो जाने वाली इकाई का नाम है। अंजुमनों की बुनियाद हमारे इमामों के ज़माने में रखी गई।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की रहनुमा रिसर्च
ईरानी नौसेना के फ़्लोटिला-86 ने आठ महीने में 65000 किलोमीटर की दूरी तय की और पूरी दुनिया का चक्कर लगाया। दुनिया की गिनी चुनी नौसेनाएं ही यह कारनामा कर सकती हैं।
स्वीडन में क़ुरआन मजीद का अनादर, साज़िश से भरी एक ख़तरनाक कटु घटना है। इस जुर्म को अंजाम देने वाले को सबसे कठोर सज़ा दिए जाने पर सभी ओलमा-ए-इस्लाम एकमत हैं।
नफ़रत से भरी इस नई हरकत का लक्ष्य यह है कि ईसाई समाज में इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ लड़ाई, अवाम के स्तर तक फैल जाए।
क़ुरआन का चमकता सूरज दिन ब दिन ज़्यादा बड़े क्षितिज पर निकल कर ज़्यादा चमकेगा।
इमाम ख़ामेनेई
तेहरान का इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़ा, शबे आशूर की मजलिस में विख्यात नौहा ख़्वां महदी रसूली का नौहा
(या इमामे ज़माना आपके परचम का सुर्ख़ रंग इंशाअल्लाह इस कायनात पर छा जाएगा)
दुश्मन, हुसैन इबने अली के जिस्म को घेरे हुए हैं और उनमें से हर कोई वार कर रहा है। जब हज़रत ज़ैनब क़त्लगाह पहुंचीं और उस पाक जिस्म को करबला की ज़मीन पर गिरा हुआ पाया तो अपने हाथों को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जिस्म के नीचे रखा और उनकी आवाज़ बुलंद हुयी ऐ अल्लाह! पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की इस क़ुरबानी को क़ुबूल कर।
क़ुरआन की शान में बेअदबी पर भारी आक्रोश, बग़दाद से स्वेडन के राजदूत को निकाला गया, ईरान ने भी कड़ा रुख़ अपनाया, आयतुल्लाह सीस्तानी ने एतेराज़ किया, जामेअतुल अज़हर ने भी रिएक्शन दिखाया। वही हुआ जिसका ज़िक्र आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पैग़ाम में किया।
एक ग्यारह साल का बच्चा था, यह बच्चा जब समझ गया कि उसका चचा जंग के मैदान में ज़मीन पर गिरा हुआ है वह बड़ी तेज़ी से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़रीब पहुंचा। इब्ने ज़्याद के एक वहशी व बेरहम सिपाही ने तलवार खींच रखी थी कि वह इमाम हुसैन के घायल जिस्म पर वार करे, उसने अपने छोटे छोटे हाथों को बेअख़्तियार तलवार के सामने कर दिया लेकिन उस दरिंदे ने इसके बावजूद अपनी तलवार नहीं रोकी और वार कर दिया, बच्चे के हाथ कट गए।
हज़रत अली अकबर ने बाबा से जंग के मैदान में जाने की इजाज़त चाही। इमाम हुसैन ने फ़ौरन इजाज़त दे दी। उस जवान को आपने हसरत और नाउम्मीदी से देखा कि मैदाने जंग में जा रहा है और अब वापस न लौटेगा। आप नज़रें झुका कर आंसू बहाने लगे।
अचानक हमने देखा कि इमाम हुसैन के ख़ैमों की तरफ़ से एक बच्चा बाहर आया, उसका चेहरा चांद के टुकड़े की तरह दमक रहा था। वह आया और जंग करने लगा। इब्ने फ़ुज़ैल अज़दी ने उसके सिर पर वार किया और उसके दो टुकड़े कर दिए। बच्चा मुंह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी आवाज़ बुलंद हुयी: ऐ चचा जान!
अंजुमन, जेहाद का केंद्र है, अल्लाह की राह में जेहाद, अहलेबैत, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के मत को ज़िंदा करने की राह में जेहाद, अंजुमन, तशरीह के जेहाद की जगह है।
मुहर्रम से पहले मुल्क के ओलमा और मुबल्लिग़ों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तबलीग़ की अहमियत और उसके समकालीन तक़ाज़ों पर रौशनी डाली।
एक झूठा मोर्चा है जो ख़ुद को लिबरल डेमोक्रेसी कहता है। हालांकि वो लिबरल है न डेमोक्रेटिक। अगर आप लिबरल हैं तो साम्राज्यवादी हरकतों का क्या तुक है? आप कैसे आज़ादी पसंद हैं?
रावी कहता है कि मैं दाख़िल हुआ तो देखा कि इमाम मूसा इबने जाफ़र अलैहेमस्सलाम के हुजरे में तीन चीज़ें रखी हैं। एक तलवार है जो इस बात की प्रतीक है कि मक़सद, जेहाद है। मोटा और खुरदुरा लेबास जो सख़्त मेहनत, जेहादी और इंक़ेलाबी ज़िन्दगी का प्रतीक है और एक क़ुरआन है जो इस बात का प्रतीक है कि अस्ल मक़सद यही है।
इमाम ख़ामेनेई
12/04/1985
ग़दीर से इस्लामी समाज के लिए हुकूमत और सत्ता का नियम तय हुआ और उसकी बुनियाद पड़ी। ग़दीर की अहमियत इसी बात में है। यह बात साफ़ हो गयी कि इस्लामी समाज, शाही हुकूमत की जगह नहीं है। व्यक्तिगत हुकूमत की जगह नहीं है, दौलत व ताक़त के ज़ोर पर हुकूमत की जगह नहीं है, एरिस्टोक्रेटिक हुकूमत की जगह नहीं है।
इमाम ख़ामेनेई
कुछ लोग यह ख़याल करते हैं कि इमामों की विलायत रखने का बस यह मतलब है कि हम इमामों से मुहब्बत करें। वो कितनी ग़लत फ़हमी में हैं, कैसी ग़लत फ़हमी का शिकार हैं?! सिर्फ़ मुहब्बत मुराद नहीं है। वरना इस्लामी दुनिया में कोई भी न होगा जो ख़ानदाने पैग़म्बर से तअल्लुक़ रखने वाले मासूम इमामों से मुहब्बत न करे।
हज अमली तौर पर दिखा देता है कि नस्ली भेदभाव, इलाक़ाई भेदभाव, तबकों के बीच भेदभाव, इन्हें क़ुबूल नहीं करता, यह बहुत अहम प्वाइंट है। आज वह मुल्क जो सिविलाइज़्ड होने का दावा करते हैं, मेरी नज़र में, तहज़ीब से दूर का भी उनका नाता नहीं रहा है।
हज, आज और कल के इंसान की अख़लाक़ी गिरावट के लिए साम्राज्यवाद और ज़ायोनीवाद की तरफ़ से रची गई सभी साज़िशों को नाकाम और बेअसर बना सकता है। आलमी सतह पर यह असर डालने के लिए ज़रूरी शर्त यह है कि मुसलमान पहले क़दम के तौर पर हज के हयात-बख़्श पैग़ाम को पहले ख़ुद सही तरीक़े से सुनें और उस पर अमल करने में कोई कसर न छोड़ें।
अचानक यह बात मन में आयी कि मैं क्यों ठीक हो गया? यह जो अल्लाह ने मुझे सेहत दी है, इसकी कोई वजह होनी चाहिए। मुझे ख़याल आया कि यक़ीनन अल्लाह को मुझसे कुछ अपेक्षा है और उस अपेक्षा को व्यवहारिक बनाने के लिए उसने मुझे बचाया है।
शहीदों के परिवारों से इस्लामी इंकेलाब के नेता का ख़ेताबः सारे शहीद आइडियल हैं। हमारे नौजवान को आइडियल की ज़रूरत होती है। यह शहीद हमारे मुल्क और हमारे नौजवानों के ज़िंदा आइडियल शुमार होते हैं। उनका नाम ज़िंदा रहना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
जेहादे अकबर! नफ़्स से संघर्ष सबसे बड़ा जेहाद है। अगर हम इस आयाम से भी देखेंगे तब भी हम पाएंगे कि शहीदों के बाप, शहीदों की माएं, शहीदों की बीवियां, जेहादे अकबर के सबसे ऊंचे दर्जे पर हैं।
फ़िलिस्तीन की तहरीके हमास के पोलिटिकल ब्योरो के प्रमुख इस्माईल हनीया से मुलाक़ात में रहबरे इंक़ेलाबः फ़िलिस्तीन के हालात दो तीन साल पहले के मुक़ाबले में बहुत बदल चुके हैं। आज नौजवान ख़ुद बख़ुद मैदान में उतरे हैं और वो इस्लाम पर भरोसा करते हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी गणराज्य ईरान, उज़बेकिस्तान को तुर्कमेनिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र से आसानी से जोड़ सकता है, अलबत्ता आपसी सहयोग का दायरा व्यापार और परिवहन से कहीं ज़्यादा विस्तृत है और नए तरीक़ों पर ग़ौर करके साइंस और टेक्नालोजी सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
जेहादे इस्लामी फ़िलिस्तीन ग़ज़्ज़ा की हालिया जंग के दौरान इम्तेहान में सफल रही। ज़ायोनी सरकार के अधिकारियों का इस सरकार के अपनी उम्र के 80 साल पूरे न कर पाने की ओर से चिंतित होना सही है।
परमाणु प्रोडक्ट्स और सेवाओं का कमर्शियलाइज़ेशन होना चाहिए, हमारी इन कामयाबियों का दुनिया में अच्छा मार्केट मौजूद है। मुल्क की अर्थव्यवस्था के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
11 जून 2023
इन बरसों के दौरान, परमाणु उद्योग के अहम इंफ़्रास्ट्रक्चर तैयार किए गए हैं, मुमकिन है आप किसी मामले में कुछ समझौता करना चाहें, कोई मुश्किल नहीं है समझौता कीजिए, लेकिन इन इंफ़्रास्ट्रक्चर को हाथ न लगाया जाए।
जो भी ईरान से मुहब्बत करता है, जो भी फ़्यूचर में, न्यू वर्ल्ड ऑर्डर में ईरान की इज़्ज़तदार पोज़ीशन की ख़्वाहिश रखता है, उसे क़ौम में ईमान और उम्मीद को फैलाना चाहिए।
इमाम ख़ुमैनी ने तीन बड़े महान व ऐतिहासिक काम किए...एक मुल्क ईरान की सतह पर कि इस्लामी इंक़ेलाब को वजूद दिया, एक इस्लामी जगत की सतह पर कि इस्लामी जागरुकता का आंदोलन शुरू किया और एक विश्व स्तर पर अध्यात्म के माहौल को दुनिया में ज़िन्दा किया।
इमाम ख़ामेनेई
आज इस्लामी जगत, इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी से पहले के दौर और इमाम ख़ुमैनी के ज़माने से पहले की तुलना में ज़्यादा सरगर्म, ज़्यादा तैयार और ज़्यादा पुरजोश है।
इमाम ख़ुमैनी तीन सतह पर बदलाव लाए। मुल्क की सतह पर उन्होंने, ग़ैरों की नज़रे करम का इंतेज़ार करने वाली क़ौम को, सब कुछ करने की सलाहियत रखने वाली क़ौम में बदल दिया।
ओमान के सुल्तान से मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने दो तरफ़ा तअल्लुक़ात, इलाक़ाई मुल्कों से सहयोग की ईरान की पालीसियों और इस्लामी दुनिया की एकता व समन्वय जैसे विषयों पर रौशनी डाली।
भेदभाव को ख़त्म करने की इस्लाम की ज़बान दरअस्ल अमल की ज़बान है, कहाँ? हज में। काले हैं, गोरे हैं, दुनिया के फ़ुलां क्षेत्र से आए हैं, फ़ुलां तहज़ीब के हैं, फ़ुलां तारीख़ के हैं, सब एक साथ बिना किसी भेदभाव के, एक साथ हैं, कोई भेदभाव नहीं है। ये हज के राज़ हैं, इन्हें मारेफ़त के साथ अंजाम देना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2023