हम सीरिया और तुर्किए में, मुसीबत में फंसे अपने भाइयों की ओर से दुखी हैं। मरने वालों के लिए हम अल्लाह से रहमत व मग़फ़ेरत और उनके सोगवारों के लिए सब्र की दुआ करते हैं।
हमारे मुल्क में साम्राज्यवादी ताक़तों यानी पहले ब्रिटेन और फिर अमरीका का सबसे अहम मोर्चा, उनकी एजेन्ट सरकश हुकूमत थी। उनके ज़रिए क़ायम होने वाली सरकश हुकूमत उनके मोर्चे का काम करती थी। इंक़ेलाब आया तो उसने इस मोर्चे को ध्वस्त कर दिया, ख़त्म कर दिया, ढा दिया।
रजब के मुबारक दिनों में और हज़रत अली अलैहिस्सलाम के जन्म दिन की पूर्व संध्या पर इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में शुक्रवार की शाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में स्कूली छात्राओं के जश्ने इबादत का प्रोग्राम आयोजित हुआ।
एक इंसान जिन ख़ूबियों और वैल्यूज़ का वह सम्मान करता है, वे सभी हज़रत अली अलैहिस्सलाम में इकट्ठा हैं। जो शख़्स किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखता, वह भी जब अमीरुल मोमेनीन की शख़्सियत को पहचान लेता है तो उनके सामने सिर झुका देता है।
जिन लोगों को धर्म से कोई लेना देना नहीं था वे तो अपनी जगह, धर्म पर अमल करने वाले लोग भी, यहाँ तक कि कुछ धर्मगुरू भी यह नहीं मानते थे कि इस्लाम सियासी मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है। हालांकि इस्लाम का उदय ही सियासी इरादों के साथ हुआ था।
आज सुबह इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के मज़ार, 28 जून 1981की घटना के शहीदों और इसी तरह 30 अगस्त 1981 को प्रधान मंत्री कार्यालय में होने वाले धमाके के शहीदों के मज़ारों इसके अलावा नेश्नल सेक्युरिटी के तहत अपना फ़र्ज़ अदा करते हुए शहीद होने वाले आरमान अली वेर्दी के मज़ार पर इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता हाज़िरी हाज़िरी दी।
जब इंसान ग़फ़लत की हालत से बाहर निकल आए और इस ओर उसका ध्यान रहे कि उसे देखा जा रहा है, उसका हिसाब किया जा रहा है। हम लिखते लिखवाते रहते थे जो कुछ तुम करते थे।(सूरए जासिया-आयत-29) उसकी सभी हरकतें, हिलना डुलना और काम अल्लाह के सामने हैं तो स्वाभाविक तौर पर वह एहतियात करेगा।
इस महीने में जितना ज़्यादा हो सके अल्लाह की बारगाह में दुआ व मुनाजात कीजिए और अहलेबैत को वसीला क़रार दीजिए! अल्लाह की याद में रहिए! अगर हम सब, अल्लाह से अपने संपर्क को मज़बूत बनाएं तो बहुत से मसले, मुश्किलें, परेशानियां, रुकावटें अपने आप ही दूर हो जाएंगी।
वेस्ट एशिया के इलाक़े में ऐसी क्या ख़ास बात है जो साम्राज्यवादी ताक़तें किसी भी क़ीमत पर उसे अपने कंट्रोल से बाहर नहीं जाने देना चाहतीं, इसके लिए उन्होंने कैसे मंसूबे बनाए और उन मंसूबों का अंजाम क्या हुआ? इन अहम सवालों का जायज़ा।
जहाँ तक माँ के हक़ की बात है तो वो ज़िन्दगी देने वाली हस्ती का हक़ है। बाप का भी असर है, लेकिन माँ से कम, माँ का असर सबसे ज़्यादा होता है। दिलों में ईमान के बीज बोने वाली माएं हैं जो बच्चे को मोमिन बनाती हैं।
दुश्मन सोच रहा था कि ईरानी क़ौम, आर्थिक मुश्किलों की वजह से -जो मौजूद हैं- तख़्ता पलटने और मुल्क को तोड़ने की दुश्मन की साज़िश का साथ देगी, यह एक ग़लत अंदाज़ा था।
बसीज या स्वयंसेवी बल इस्लामी जुम्हूरिया का ऐसा अज़ीम सगंठन है जिसने अवाम की ख़िदमत, मुल्क की हिफ़ाज़त और सभी विभागों की तरक़्क़ी में बेमिसाल किरदार निभाया है।
वह अपने सभी संसाधनों को इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि इस मुबारक वजूद को, इस्लामी जुम्हूरिया को, इस इन्क़ेलाब को हरा सकें, लेकिन नहीं हरा सके। अल्लाह हमारा मौला है। जिसे भी यक़ीन नहीं है वह इन चालीस बरसों पर एक नज़र डाले।
इन लोगों ने इन सेंटरों को निशाना बनाया कि इन्हें बंद कर दें ताकि इल्म हासिल न किया जा सके। सेक्युरिटी न रहे, इल्म हासिल न हो सके। ये लोग कमज़ोर पहलुओं को ख़त्म नहीं करना चाहते थे, ये, मज़बूत कामों को ख़त्म करना चाहते थे।
दुश्मन का एक हथकंडा यह है कि वह कहीं कोई काम बहुत शोर व ग़ुल के साथ शुरू करता है, ताकि सबका ध्यान उस तरफ़ मुड़ जाए, फिर अस्ली काम जो वह अंजाम देना चाहता है, किसी दूसरी जगह अंजाम देता है।
दंगों को गाइड करने वाले ख़ुद को ईरानी क़ौम का सपोर्टर ज़ाहिर करते हैं। लेकिन ईरानी क़ौम की इच्छाओं, अक़ीदों और मुक़द्दस चीज़ों से दुश्मनी की, इस्लाम से दुश्मनी की...
इमाम ख़ामेनेई
ईरान में अमरीका के जासूसी के अड्डे पर इमाम ख़ुमैनी के अनुयायी इंक़ेलाबी स्टूडेंट्स के दाख़िल होने से कुछ मिनट पहले ही, अमरीकी जासूसों ने दस्तावेज़ों को श्रेडरों से नष्ट किया।
शीराज़ में दाइश के आतंकी हमले में घायल होने वाला बच्चा आरतीन सेरायदारान आज आयातुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से स्टूडेंट्स की मुलाक़ात में शामिल हुआ।5 बरस का बच्चा आरतीन इस आतंकी हमले में घायल हो गया मगर अपने माँ-बाप और भाई को खो बैठा।आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस मौक़े पर सहानुभूति जताई। 26 अक्तूबर को शीराज़ शहर में हज़रत अहमद इब्ने मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम (शाहचेराग़) के पवित्र रौज़े पर आतंकवादी ग्रुप दाइश के आतंकी हमले में 15 लोग शहीद और बहुत से अन्य घायल हो गए थे।