इंसान ने जाहेलियत के ख़िलाफ़, जो औरत पर ज़ुल्म किया करती थी, जद्दोजेहद की, अध्यात्म, विचार और मानवीय मूल्यों के मैदान में भी, राजनैतिक मैदान में मौजूदगी के लेहाज़ से भी और सबसे बढ़कर परिवार की सतह पर भी। अध्यात्म के मैदान में औरत, तरक़्क़ियों की ओर इंसान के रूहानी सफ़र में आगे आगे रहने वालों में है। इस्लाम औरत की बैअत, औरत के मालिक होने और मूल राजनैतिक व सामाजिक मैदानों में औरत की भागीदारी का पूरी तरह समर्थन करता है। घर के भीतर इस्लामी नज़र से मर्द का फ़रीज़ा है कि वह औरत की एक फूल की तरह देखभाल करे। इमाम ख़ामेनेई 24/08/2000
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