रिवायत में दुआ को इबादत का निचोड़ कहा गया है। इबादत की जान, दुआ है। दुआ का क्या मतलब है? मतलब है अल्लाह से बातें करना। अस्ल में अल्लाह को अपने पास महसूस करना और अपने मन की बात उसके सामने रखना... दिल में अल्लाह की याद ताज़ा व ज़िन्दा रखने से ग़फ़लत व लापरवाही ख़त्म होती है जो सभी गुमराहियों व भटकाव तथा इंसान की ख़राबियों की जड़ है। दुआ ग़फ़लत के पर्दे हटा देती है, दुआ इंसान के दिल से ग़फ़लत को दूर कर देती है और इंसान को अल्लाह की याद में लगा देती है और अल्लाह की याद दिल में जगाए रखती है। दुआ से वंचित लोगों को जो सबसे बड़ा नुक़सान उठाना पड़ता है वो यह है कि अल्लाह की याद उनके दिल से निकल जाती है। अल्लाह से ग़फ़लत इंसान के लिए बहुत बड़ा नुक़सान है।
इमाम ख़ामेनेई
30/10/1998