ज़िन्दगी की हक़ीक़तों से ऊपर, इच्छाएं, मोहब्बतें और इंसानी जज़्बात ज़िन्दगी में अपना किरदार अदा करते हैं और उनका किरदार भी (दूसरों की) देखा देखी या दूसरे दर्जे का नहीं बल्कि अस्ली (और स्वाभाविक) किरदार है और इस बहुत ही मज़बूत इमारत के लिए बुनियाद का काम कर सकता है। इसे किस तरह ज़िन्दगी का अटूट हिस्सा बनाएं?  मियां बीवी दोनों अपनी स्थिति को पहचानें। मियां बीवी को और बीवी मियां को पाक इश्क़ और मोहब्बत से भरी निगाहों से देखे और दोनों इस इश्क़ को बरक़रार रखें क्योंकि यह ख़त्म हो सकता है। दूसरी तमाम (क़ीमती) चीज़ों की तरह इसकी रक्षा कीजिए कि यह ख़त्म होने न पाए। इमाम ख़ामेनेई 12/03/2000
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