जवानों से जब बात होती है तो कहते हैं कि अगर शादी कर लें तो घर कहाँ से लाएं, रोज़ी का क्या होगा? ये वे शर्तें हैं जो हमेशा अस्ल व बुनियादी काम की राह में रुकावट बनती हैं। ज़िन्दगी के बहुत से मामलों में हम देखते हैं कि जवानों में आमादगी भी पायी जाती है। वे बिलकुल ठीक भी हैं। मामलों को समझते भी हैं। बात इतनी सी है कि शादी एक बड़ी ज़िम्मेदारी को क़ुबूल करने के मानी में है जिसे कुछ जवान क़ुबूल करना नहीं चाहते। ज़िम्मेदारी से भागना, किसी हद तक शादी में रुकावट की वजह बन जाता है।
इमाम ख़ामेनेई
29/5/1993