इस्लाम में शादी का तरीक़ा और अंदाज़ बाक़ी धर्मों और क़ौमों से अलग है। पृष्ठिभूमि के लेहाज़ से भी और अस्ल शादी के साथ साथ उसके बाक़ी रहने के लेहाज़ से भी इंसान की भलाई को मद्देनज़र रखा गया है। अलबत्ता बाक़ी धर्मों की शादियां भी हमारी नज़र में मोतबर व एहतेराम के क़ाबिल हैं, लेकिन जो तरीक़ा इस्लाम ने तय किया है, हम उसको बेहतर मानते हैं, शौहर के लिए कुछ अधिकार हैं, बीवी के लिए भी कुछ अधिकार हैं, ज़िन्दगी के शिष्टाचार और तरीक़े हैं। इस्लाम ने शादी के लिए एक तरीक़ा और शैली तय की है, बुनियाद यह है कि परिवार क़ायम और सुखी रहे।
इमाम ख़ामेनेई
18/4/1998