हम इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर के ज़माने से, नज़दीक हो चुके हैं, क्योंकि आत्मज्ञान विकसित हुआ है। आज इंसान की ज़ेहनियत इस बात को समझने, जानने और यक़ीन करने के लिए तैयार हो चुकी है कि एक महान इंसान ज़रूर आएगा और इंसानियत को ज़ुल्म से मुक्ति दिलाएगा, वही चीज़ जिसकी सभी नबियों ने कोशिश की है, वही चीज़ जिसका पैग़म्बरे इस्लाम ने लोगों से क़ुरआन में वादा किया है। लोगों के मन, लगाव और मोहब्बतें दिन ब दिन इस बिन्दु की ओर ज़्यादा से ज़्यादा केन्द्रित होती जा रही हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999