सभी पैग़म्बरों ने पहले से लेकर पैग़म्बरे इस्लाम तक, अपना मक़सद आत्मा की शुद्धि क़रार दिया है। ʺउनको पाकीज़ा बनाता है और उनको किताब और हिकमत की तालीम देता है।ʺ (सूरए जुमा, आयत-2) सारी इबादतें और शरई फ़रीज़े जिन्हें अदा करने का हम और आपको हुक्म हुआ है हक़ीक़त में इसी आत्मशुद्धि के ज़रिये हैं और इसलिए हैं कि हम कामिल हो जाएं।
इमाम ख़ामेनेई
02/01/1998