कुछ ग़लत मत और नज़रिए, जो औरतों से मख़सूस नहीं हैं, मर्द भी कभी कभी उन्हीं मतों का पालन करते हैं और यह कहना चाहते हैं कि आइये इस तराज़ू (के पलड़ों) की चीज़ें यानी मर्द और औरत के रोल आपस में बदल दें। अगर हम ऐसा कर दें तो क्या हो जाएगा? आप सिवाए इसके कि एक बड़ी ग़लती करेंगे, सिवाए इसके कि एक बाग़ और गुलिस्तान को, जो बड़ी ख़ूबसूरती से सजाया गया था, बर्बाद कर देंगे, कुछ और नहीं करेंगे।
इमाम ख़ामेनेई
12 मार्च 2000