"औरत फूल है, नौकर नहीं।" पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने इस क़ौल के ज़रिए इस सोच को, जिसके तहत सोचा जाता था कि औरत के लिए घर के अंदर काम करना ज़रूरी है, ग़लत बता दिया है। औरत एक फूल की तरह है जिसकी देखभाल करना चाहिए। इमाम ख़ामेनेई 20 सितंबर 2000