जवानों की शादी के सिलसिले में मेरा ख़याल है कि अगर शादी में बेजा दिखावे और फ़ुज़ूलख़र्ची से परहेज़ किया जाए, तो जवान, जवानी के वक़्त शादी करेंगे। पश्चिमी कल्चर के अंधाधुंध अनुसरण के चलते लोग सोचते हैं कि शादी देर से करनी चाहिए जबकि इस्लाम में ऐसा नहीं है। इमाम ख़ामेनेई 16/11/2000
कीवर्ड्ज़