पाकीज़ा डिफ़ेंस के वक़्त हमारे मोर्चों की फ़्रंटलाइनें इबादत की मेहराब बनी हुई थीं। आधी रात को एक जवान, एक ‎कमांडर बैठकर इबादत करे, आंसू बहाए, इस तरह के बयान एक दो और दस बीस तक सीमित नहीं हैं। इस मोर्चे ‎के हर हिस्से में यही माहौल था। इमाम ख़ामेनेई 20 सितम्बर 2023‎
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