मिल्लते ईरान का अल्लाहो अकबर का नारा अपनी ख़ास आवाज़ और अंदाज़ रखता है। क्योंकि यह पैग़म्बर का नार-ए-अल्लाहो अकबर है। यह बुतों को तोड़ने वाला नार-ए-अल्लाहो अकबर है। यह ताक़त और धन दौलत के बुतों को महत्वहीन साबित करने वाला नारा है। यह विश्व साम्राज्यवाद के मुक़ाबले में एक क़ौम की शुजाअत और बहादुरी का आईना है। इमाम ख़ामेनेई 28 अगस्त 1985
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