पैग़म्बर की जंग और जेहाद सिर्फ़ तलवार की लड़ाई तक सीमित नहीं है बल्कि यह आम लड़ाई है। इसमें वैचारिक लड़ाई भी है, सियासी लड़ाई भी है, प्रचारिक लड़ाई भी है और फ़ौजी लड़ाई भी है। बेशक हिजरत से पहले पैग़म्बर ने मक्के में जो जेहाद अंजाम दिया वह बद्र व ओहोद, ख़ैबर व ख़ंदक़ और दूसरी जंगों के ख़तरों से कम ख़तरनाक नहीं था।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 1986