रहबरे इंक़ेलाबे इस्लामी आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने हज के संदेश में एकता व रूहानियत को हज के दो बुनियादी स्तंभ और इस्लामी उम्मत की इज़्ज़त व सआदत के दो अहम कारक बताया और इस्लामी जागरूकता व आत्म विवेक के फैलाव और प्रतिरोध के आश्चर्यचकित कर देने वाले कारक के सामने आने के रौशन नतीजों पर ज़ोर देते हुए कहाः घमंडी पश्चिम हमारे संवेदनशील इलाक़े और हालिया दिनों में पूरी दुनिया में दिन ब दिन कमज़ोर हुआ है लेकिन दुश्मन की चालों की तरफ़ से एक पल के लिए भी ग़ाफ़िल नहीं रहना चाहिए और अपनी कोशिश, जागरूकता, आशा और आत्म विश्वास में, जो भविष्य के निर्माण के लिए सबसे बड़ी पूंजी है, इज़ाफ़ा करते रहना चाहिए। रहबरे इंक़ेलाबे इस्लामी का पैग़ामे हज, मुशरेकीन से बराअत के प्रोग्राम में, हज व ज़ियारत के मामलों में उनके प्रतिनिधि और ईरानी हाजियों के सरपरस्त हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन नव्वाब ने मैदाने अरफ़ात में पढ़ कर सुनाया।