नेफ़ाक़ (पाखंड), अचानक सिर नहीं उभारता कि हम सोचें कि एक शख़्स रात को मोमिन सोता है और सुबह जब नींद से उठता है तो मुनाफ़िक़ (पाखंडी) हो जाता है, जी नहीं! धीरे धीरे पाखंड पनपता है और उसका इलाज यह है कि उसकी निगरानी ख़ुद की जाए। अपनी निगरानी का मतलब यही तक़वा है। इमाम ख़ामेनेई 11/09/2009
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