फ़िलिस्तीनियों के संघर्ष का तर्क जो इस्लामी गणराज्य की तरफ़ से संयुक्त राष्ट्र संघ के दस्तावेज़ों में दर्ज हो चुका है, एक विकसित व रोचक तर्क है, फ़िलिस्तीनी संघर्षकर्ता, फ़िलिस्तीन के अस्ली निवासियों के एक रिफ़्रेंडम की बात पेश कर सकते हैं। यह रिफ़्रेंडम, देश की राजनैतिक व्यवस्था को निर्धारित करेगा और इसमें फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों समेत फ़िलिस्तीन में रहने वाले हर धर्म व जाति के लोग भाग लेंगे। यह राजनैतिक व्यवस्था विदेशों में रह रहे शरणार्थियों को स्वदेश लौटाएगी और बाहर से आकर फ़िलिस्तीन में बस जाने वाले ग़ैरों के भविष्य का निर्धारण करेगी।

यह मांग, उस प्रचलित प्रजातंत्र के आधार पर है जो दुनिया में स्वीकार्य है और कोई भी इसके विकसित होने का इन्कार नहीं कर सकता। फ़िलिस्तीन संघर्षकर्ता, अवैध क़ब्ज़ा करने वाली सरकार के ख़िलाफ़ अपना क़ानूनी व नैतिक संघर्ष तब तक जारी रखें जब तक वह इस मांग को मानने पर मजबूर न हो जाए।